यह 8 बदलाव आपको लाने है अपने जीवन में यदि आप अपने बच्चे को डिसीप्लिन सिखाना चाहते है-
एक कामयाब और खुशहाल जीवन जीने के लिए हमारे जीवन में अनुशासन या डिसीप्लिन बहुत जरुरी है और हमें बचपन से ही अपने बच्चों को अनुशासन की सीख देनी चाहिए क्योंकि बचपन, हमारे जीवन का वह समय होता है जब हम बड़ी जल्दी सीखते हैं और बचपन में मिली हुई सीख जीवनभर हमारे काम आती हैं।
क्या है अनुशासन
अनुशासन या डिसीप्लिन कुछ नियमों और कायदों के साथ जीवन जीने का तरीका है इसलिए बच्चे को यह बताना जरूरी है कि नियम-कायदे के साथ जीवन जीने का अर्थ उनकी आजादी पर पाबंदी न होकर किसी काम को सही ढंग से करने की सीख है। ऐसा करना मुश्किलों को हल करने की काबलियत बढ़ाने के साथ-साथ सही समय पर सही कार्य करने में मदद करता है।
आइए जानें उन बातों के बारे में जिनका बच्चे को अनुशासन की सीख देते समय आपको पालन करना है-
1. नियम और व्यवस्था का पालन करना
माता-पिता बच्चे के सबसे पहले गुरू होते हैं और घर, बच्चों का पहला स्कूल होता है। इसलिए बच्चों को अनुशासन सिखाने के जो बात सबसे ज्यादा मायने रखती है वह है माता-पिता को खुद का अपने जीवन में अनुशासित होना। माँ-बाप को चाहिए वह नियमित और व्यवस्थित जीवन जियें, अपने खुद के आचरण, व्यवहार और जीवनरीति से से बच्चों को अनुशासन की सीख दें।
2. गुस्से और चिढ़चिढ़ेपन से बचें
ज्यादा गुस्सा और चिढ़चिढ़ापन हमारे अंदर की सौम्यता को खत्म कर देता है। हमारे व्यवहार की कठोरता बच्चों के मन में हमारे लिए डर और दबाब पैदा करती है इसलिए बेहतर है कि बच्चों के सामने गुस्सा होने और चिढ़चिढ़ाने की आदत बदलें। यह बच्चों को मिलनसार बनाने के लिए बहुत जरूरी है।
3. भेदभाव करने की आदत बदलें
कई माँ-बाप अपने बच्चों के बीच भेदभाव करने के आदी होते हैं, जैसे बड़े और छोटे बच्चे के बीच या खासकर लड़के-लड़की के बीच। आपका ऐसा करना बच्चों के अंदर भी भेदभाव करने की भावना पैदा करता है और आगे चलकर उनके व्यवहार का हिस्सा बन जाता है। यह बात दूसरों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने में मुश्किल पैदा करती है।
4. सच बोलने के साथ मर्यादित भाषा बोलें
बच्चों के सामने झूठ बोलना या बच्चों से झूठ बोलना, बच्चों में अपने माँ-बाप की बात पर विश्वास करना कम करता है। ऐसा होने पर उन्हे सही बात भी झूठ ही लगती है। आपका सच बोलना बच्चे को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा। इसी प्रकार बोलते समय भद्दे शब्दों के इस्तेमाल से बचें। कभी गलती करें तो इसे स्वीकार करने हिचकिचाए नहीं।
5.मुश्किल हालातों से तालमेल की खूबी
जीवन हमेशा एक सा नहीं रहता और कई बार हमें कठिन हालातों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे हालात अपने साथ डर, गुस्सा, दुःख और उदासी जैसी भावनाएं भी अपने साथ लेकर आते हैं। इन हालातों का सामना करने में आपका संयम और आत्मविश्वास बच्चों को जीवन की कठिन परिस्थितियों से लड़ने और उनसे पार पाने की सीख देता है।
6. खुदगर्ज नहीं हमदर्द बनें
बच्चों के सामने अपनी उदारता और दयालुता का प्रर्दशन करें। उन्हे इस बात का एहसास होना चाहिए कि जब आप किसी की मदद करते हैं तो यह तारीफ पाने के लिए नहीं होता बल्कि आपको दूसरों की मदद करना पसंद है और आपको ऐसा करना अच्छा लगता है। बच्चों को जज्बाती बनाने के लिए आपका ऐसा होना बहुत जरूरी है।
7. सभी के लिए सम्मान की भावना रखें
दूसरों के लिए आदर और सम्मान की भावना हमारे अनुशासित होने की सबसे बड़ी निशानी है। हमें छोटे-बड़े लोगों को सम्मान करते हुए देखने पर बच्चे ऐसा करने के लिए प्रेरित होते हैं। बच्चों में यह खूबी उनकी अच्छी परवरिश और संस्कारी होने को भी जाहिर करती है।
8. ईमानदार रहें
ईमानदार होना भी सामाजिक अनुशासन का हिस्सा है। यदि आप चाहते है बच्चा सादगी और ईमानदारी सीखे तो आप खुद उसके आदर्श बनें जिससे बच्चा जान सके कि ईमानदारी की नीव बहुत मजबूत होती हैं और कोई भी आपके साथ धोखाधड़ी नहीं कर सकता।
यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सही और गलत का फर्क जाने, अपने शरीर और दिमाग पर काबू कर सके और अच्छी आदतें अपनाए तो बच्चे को अनुशासन की सीख देना बहुत जरूरी है और अपने अंदर कुछ बदलाव लाकर बड़ी आसानी से बच्चे को अनुशासन की सीख दी जा सकती है।
सरांश- अनुशासन से रहना बच्चे की आजादी पर पाबंदी न होकर किसी काम को सही ढंग से करने की सीख है। उसे अनुशासन सिखाने के लिए इन 8 बातोंपर गौर करें।