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Wednesday 5 January 2022

क्या आप के बच्चे रात में देर तक जागते हैं?

 आज कल टीनएजर्स का देर रात तक मोबाइल चलाना ,लैपटॉप पर लगे रहना, घंटों टीवी पर प्रोग्राम देखना या फिर दोस्‍तों के साथ मोबाइल पर बातें करना इन सब के कारण किशोरों को देर से सोने और कम नींद लेने की आदत पड़ जाती है। और इस आदत का खामियाजा किशोरों के लिए काफी बड़ा होता है।नींद की कमी टीनएजर्स को बीमार कर सकती है। कम सोना सेहत के लिए नुकसानदेह होता है ,इसकी वजह से दिल की बीमारी और डायबिटीज आदि हो सकते हैं। देर रात तक जगना आज कल के बच्चो के लिए आम बात हो गयी है। पर इसके बहुत सारे नकारात्मक प्रभाव होते है जो आपके बच्चो को बीमार बना सकते है। ऐसे बच्च को धुम्रपान ,शराब और अवैध नशे की लत लग जाती है।


पूरी नींद ना हो पाने की वजह से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं, जुकाम और फ्लू जैसी दिक्कतें किशोरों के बीच बेहद आम है। लंबे समय तक कम सोने से किशोरों में ना सिर्फ नींद से जुड़ी समस्याएं होती हैं बल्कि कम सोने वाले किशोर अधिकतर मोटापे के शिकार होते हैं।

 इन लोगों में धूम्रपान और नशे की आदत ज्यादा होती है जिसके कारण यह सामाजिक लोगो से अलग अलग रहना पसंद करते है। इन्हें डिप्रेशन आदि होने का खतरा भी बढ़ जाता है।


इसके साथ ही देर रात तक जागने वाले समूह के लोग डायबिटीज, पेट और सांस की तकलीफ, मनोवैज्ञानिक विकार, कम नींद की समस्या से ग्रस्त होते हैं. साथ ही ये लोग शराब, कॉफी का सेवन भी अधिक करते हैं।


इन लोगों में मौत का जोखिम इसलिए भी अधिक होता है क्योंकि देर से सोकर उठने की वजह से इनकी बॉयलाजिकल क्लॉक अपने आसपास के वातावरण से मेल नहीं खाती। रिसर्चरों की टीम का दावा है कि गलत समय पर खाना, शारीरिक गतिविधियां कम करना, अच्छे से नहीं सोना, पर्याप्त व्यायाम नहीं करना आदि के चलते लोगों को मानसिक तनाव हो सकता है| कैसे छुटकारा दिलाये इस आदत से ।


बच्चो के मोबाइल ,लैपटॉप ,टीवी आदि का टाइम सेट करे। उन्हें निर्धारित समय से ज्यादा इन उपकरणों का उपयोग ना करने दें। रात को बिस्तर पर जाते ही उनके सभी उपकरण उनसे ले लें। सोने से पहले उन्हें पढने की आदत डाले इससे उन्हें अच्छी नींद आयेगी।


Sunday 2 January 2022

बढती उम्र के बच्चो के मित्र कैसे बनें

  •  बढ़ती उम्र में बच्चों और माता-पिता के बीच में धीरे-धीरे दूरी आने लगती है। इस आती दूरी के बहुत से कारण हो सकता है। जैसे- माता-पिता का बच्चों के साथ समय न बिताना, बार-बार चिल्लाना या ज़ोर-ज़बरदस्ती करना, बच्चों का सम्मान न करना, उनपर अपना निर्णय थोपना आदि।

पर माता-पिता होने के नाते ये समझना बहुत ज़रूरी है की इस बढ़ती उम्र में बच्चों से दूर जाने की नहीं बल्कि उनका दोस्त बनने की ज़रूरत है। यही वह उम्र होती है जब बच्चों को अपने दोस्तों की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। पर कैसे बना जाए बच्चों का दोस्त? इसके लिए कुछ तरीके या व्यवहार में लाने वाले बदलाव नीचे बताए गए हैं। उन्हे समझे और अपने बच्चों के दोस्त बनें-

बच्चे के संग दोस्ताना व्यवहार बनाने के लिए इन उपायों को आजमाएं / Try These Tips To Make Friendly With Child In Hindi

  1. इस उम्र में बच्चे और उनके व्यवहार में आने वाले बदलाव को समझे – बढ़ती उम्र में बच्चों के अंदर बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं। वे जहाँ दूसरे लोगों के प्रति आकर्षित होने लगते हैं, वहीं माता-पिता की ज़ोर ज़बरदस्ती से दूर जाना चाहते हैं। वे आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। इस बदलाव के कारण बच्चे जहाँ अपने दोस्तों के करीब होते जाते हैं वही माता-पिता से दूर होते जाते हैं। इसलिए ज़रूरी है की इस बढ़ती उम्र में माता-पिता बच्चों में और उनके व्यवहार में आने वाले बदलाव को समझें और उसके अनुसार अपने व्यवहार में भी बदलाव लेकर आएं।
     
  2. बच्चों के साथ समय बिताएँ- यह उम्र ऐसी होती है की बच्चे अपनी ज्यादातर बातें बताना भी चाहते हैं और छुपाना भी चाहते हैं क्योंकि वे यह नहीं समझ पाते की उनकी बातों को सुनकर कैसी प्रतिक्रिया दी जाएगी। ऐसे में ज़रूरी है की तकरीबन रोज़ाना ही बच्चों के साथ कुछ समय बिताया जाए और उन्हें अपनी समझदारी और नासमझी के किस्से सुनाए जाये। ये किस्से उनमें विश्वास पैदा करेंगे की वे आपके साथ हर तरह का किस्सा बाँट सकते है। जब बच्चे आपके साथ अपनी बातें/किस्से/अनुभव बाँटने लगेंगे, आप उनके साथ मिलकर हँसने-रोने लगेंगे, या उनकी समस्याओं को सुनकर उन्हें सुझाव देने लगेंगे तो आपका रिश्ता माता-पिता से बढ़कर दोस्तों का होने लगेगा
     
  3. उनकी बातों और निर्णयों को समझे और सम्मान करें- बढ़ती उम्र में अक्सर एक चीज़ जो बच्चों और माता-पिता के बीच में तनाव पैदा करती है वह किसी भी चीज़ को लेकर ज़ोर-ज़बरदस्ती करना है। क्योंकि इस उम्र में बच्चे आत्मनिर्भर होकर अपने निर्णय खुद लेना चाहते हैं। यह स्वयं निर्णय ले पाने का एहसास उनका आत्मविश्वास बढ़ाता है जो निर्णय लेने में और उनका आत्मविश्वास बनाने में उनकी मदद करता है। साथ ही यह स्वतंत्रता बच्चों के दिल में माता-पिता के लिए सम्मान पैदा करती है। वे उनमें किसी ऐसे व्यक्ति की छवि नहीं देखते हैं जो बच्चों पर अपना हुक्म चलाते हैं, बल्कि ऐसे व्यक्ति की छवि देखते हैं जो उनका और उनके निर्णयों का सम्मान करते हैं
     
  4. बदलते समय के साथ आने वाले बदलावों को अपनाएं- माता-पिता और बढ़ती उम्र के बच्चों में दूरी आने का एक कारण उनके और उनके माता-पिता के सोचने और समझने के तरीके का अलग होना है। यह समझना बहुत ज़रूरी हैं कि बढ़ती उम्र में बच्चों के सामने ऐसी बहुत-सी समस्याएँ आती है जिनका जवाब माता-पिता के रूप में बस आप ही दे सकते हैं। पर इसके लिए ज़रूरी है की आप खुद को आज के समय में और अपने बच्चों के स्थान पर रखकर देखें। इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है की आज के समय में होने वाली सभी बातें सही होती है इसलिए बच्चों को समझें और उन्हें समझाएँ। 

सबसे बड़ी बात की अपने बच्चे को सही और गलत के बीच के फर्क को समझाएं और उनको नेक और अच्छा इंसान बनाने के लिए आप दोस्ताना व्यवहार से ही प्रेरित कर सकते हैं।

क्या आप के बच्चे रात में देर तक जागते हैं?

 आज कल टीनएजर्स का देर रात तक मोबाइल चलाना ,लैपटॉप पर लगे रहना, घंटों टीवी पर प्रोग्राम देखना या फिर दोस्‍तों के साथ मोबाइल पर बातें करना इन...