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Saturday 20 October 2018

बच्चे को ये 7 बातें जरूर सीखा दें

पेरेंट्स होने के नाते आप यही कोशिश करते होंगे की आपका बच्चा सिर्फ पढ़ लिख कर बड़ा आदमी ही ना बने बल्कि उससे ज्यादा जरुरी है की वो एक अच्छा इन्सान बने। आप उससे पढ़ाने लिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे होंगे। ये बहुत अच्छी बात है, लेकिन आज के समय में बच्चो को पढाई करने के साथ-साथ लोगो का सम्मान करना, बचत, ईमानदारी, सकारात्मक रहना, प्रार्थना करना, बुराई से दूर रहना जैसी शिक्षाप्रद बातें सीखाना भी बहुत जरुरी है। अगर बच्चा आपके सीखाये अनुसार इन बातों को अपने जीवन में अपना लेता है, तो समझीये आपके बच्चे को सफलता की उचाइयो को छूने से कोई नहीं रोक सकता।


बच्चे को ये 7 बातें जरूर सीखा दें

बचत की आदत-आप अपने घरो में या बाहर सार्वजनिक स्थानों में देखते है, की नल खुला पड़ा है घर में या बाहर लाइट्स फिजूल जल रहीं है। यह सब सही नहीं है। हम में और हमारे बच्चो में बचत की आदत होना बहुत जरुरी है। यदि हम आज बचत नहीं करेंगे तो हमारा कल सुरक्षित नहीं होगा। बचत बच्चो को कई प्रकार से सीखाई जा सकती है जैसे की उन्हें बताये की घर में या स्कूल में टुबलाइट, पंखा या नल फिजूल चल रहा हो तो उसे बंद कर दे। पैसे की भी बचत करने की आदत अभी से सीखाये। उन्हें बताएं की उन्हें जो पैसे खर्च के लिए मिलते है उसमे से कुछ पैसे बचाना सीखें। 

बुरी बातों को अनदेखा करना सिखाये:- हमें अपने बच्चो को बताना चाहिए की किसी की बुराई करना बुरी बात है। जैसे की अक्सर देखा जाता है की कोई दुसरा बच्चो के सामने अन्य लोगो की बुराई करते रहते है और जब बच्चा उस बुरी बात के बारें में आपको बताये तो आप बच्चे को समझाये की ये बुरी बातें भगवान को पसंद नहीं।  इसे हमें भूल जाना चाहिए। हमें बुराई कभी भी ना सुननी चाहिए, ना कहनी चाहिए, ना देखनी चाहिए।

लोगो का सम्मान करना सिखाये:- छोटी उम्र से ही जो बच्चे दुसरो का सम्मान करना सीखते है वो आगे चलकर एक अच्छे इंसान बनते है। इसलिए आप अपने बच्चो को सम्मान के साथ जीना, लोगो का सम्मान करना और लोगो की देखभाल करना भी सिखाये। उन्हें बताये की वो छोटे बड़े भाई-बहनों का और बड़ो का सम्मान करें। 

ईमानदारी सिखाये: -अगर आप चाहते है की आपका बच्चा बेहतर बने तो सबसे पहले आप अपने बच्चे को निष्ठा और इमानदारी सीखाए। क्योकि इन्ही नैतिक मुल्यो के सहारे आपका बच्चा एक अच्छा इंसान बनेगा।

प्रार्थना करना सिखाएं: -बच्चे को बताईये की रोज सुबह उढ़कर प्रार्थना करने से हमें शक्ति मिलती है। इससे हम चाहे कहीं भी जायें हमें डर नहीं लगता है रोज नियम से बच्चे को प्रर्थना करना जरुर सीखाये उन्हें बताये की प्रार्थना करने से हमें अच्छा महसूस होता है और हमारा पूरा दिन अच्छे से बीतता है प्रार्थना में आप उन्हें गायत्री मंत्र का उच्चारण सीखाये अगर बच्चा पूरा मंत्र नहीं बोल पता तो उसे सिर्फ ॐ भूर्भुवः स्व: ही कहने को बोलें।

शेयर करना सीखाये:- बच्चे को यह जरुर सीखाना चाहिए की कोई भी चीज अकेले नहीं खाना चाहिए हमेशा  बाट कर खाना चाहिए ।

अच्छे से खाना खाने की आदत सीखाये: बच्चो को सब चीज खाने की आदत सीखाये और खाना पूरा ख़त्म करने के लिए कहें। उन्हें बताये की खाना प्लेट में छोड़ना अच्छा नहीं होता अन्न का निरादर होता है। अनाज की वैल्यू के बारें में बताये।

आपका एक सुझाव हमारे अगले ब्लॉग को और बेहतर बना सकता है तो कृपया कमेंट करें, अगर आप ब्लॉग में दी गई जानकारी से संतुष्ट हैं तो अन्य पैरेंट्स के साथ शेयर जरूर करें।

Wednesday 17 October 2018

Vijya Dashmi Celebration

"अपने अंदर के रावण को जो आग खुद लगायेंगे,
      सही मायनों में वे ही दशहरा का पावन पर्व मनाएंगे ."
बच्चो द्वारा रावण दहन पर बुराई पर अच्छाई का सन्देश ।
We are celebrating Durga Pooja & Dussehra. The children played Dandiya with great enthusiasm.





















Sunday 14 October 2018

बच्चों के लिए अनुशासन या डिसीप्लिन का महत्व

यह 8 बदलाव आपको लाने है अपने जीवन में यदि आप अपने बच्चे को डिसीप्लिन सिखाना चाहते है-


एक कामयाब और खुशहाल जीवन जीने के लिए हमारे जीवन में अनुशासन या डिसीप्लिन बहुत जरुरी है और हमें बचपन से ही अपने बच्चों को अनुशासन की सीख देनी चाहिए क्योंकि बचपन, हमारे जीवन का वह समय होता है जब हम बड़ी जल्दी सीखते हैं और बचपन में मिली हुई सीख जीवनभर हमारे काम आती हैं।

क्या है अनुशासन
अनुशासन या डिसीप्लिन कुछ नियमों और कायदों के साथ जीवन जीने का तरीका है इसलिए बच्चे को यह बताना जरूरी है कि नियम-कायदे के साथ जीवन जीने का अर्थ उनकी आजादी पर पाबंदी न होकर किसी काम को सही ढंग से करने की सीख है। ऐसा करना मुश्किलों को हल करने की काबलियत बढ़ाने के साथ-साथ सही समय पर सही कार्य करने में मदद करता है।

आइए जानें उन बातों के बारे में जिनका बच्चे को अनुशासन की सीख देते समय आपको पालन करना है-

1. नियम और व्यवस्था का पालन करना
माता-पिता बच्चे के सबसे पहले गुरू होते हैं और घर, बच्चों का पहला स्कूल होता है। इसलिए बच्चों को अनुशासन सिखाने के जो बात सबसे ज्यादा मायने रखती है वह है माता-पिता को खुद का अपने जीवन में अनुशासित होना। माँ-बाप को चाहिए वह नियमित और व्यवस्थित जीवन जियें, अपने खुद के आचरण, व्यवहार और जीवनरीति से से बच्चों को अनुशासन की सीख दें।

2. गुस्से और चिढ़चिढ़ेपन से बचें
ज्यादा गुस्सा और चिढ़चिढ़ापन हमारे अंदर की सौम्यता को खत्म कर देता है। हमारे व्यवहार की कठोरता बच्चों के मन में हमारे लिए डर और दबाब पैदा करती है इसलिए बेहतर है कि बच्चों के सामने गुस्सा होने और चिढ़चिढ़ाने की आदत बदलें। यह बच्चों को मिलनसार बनाने के लिए बहुत जरूरी है।

3. भेदभाव करने की आदत बदलें
कई माँ-बाप अपने बच्चों के बीच भेदभाव करने के आदी होते हैं, जैसे बड़े और छोटे बच्चे के बीच या खासकर लड़के-लड़की के बीच। आपका ऐसा करना बच्चों के अंदर भी भेदभाव करने की भावना पैदा करता है और आगे चलकर उनके व्यवहार का हिस्सा बन जाता है। यह बात दूसरों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने में मुश्किल पैदा करती है।

4. सच बोलने के साथ मर्यादित भाषा बोलें
बच्चों के सामने झूठ बोलना या बच्चों से झूठ बोलना, बच्चों में अपने माँ-बाप की बात पर विश्वास करना कम करता है। ऐसा होने पर उन्हे सही बात भी झूठ ही लगती है। आपका सच बोलना बच्चे को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा। इसी प्रकार बोलते समय भद्दे शब्दों के इस्तेमाल से बचें। कभी गलती करें तो इसे स्वीकार करने हिचकिचाए नहीं।

5.मुश्किल हालातों से तालमेल की खूबी
जीवन हमेशा एक सा नहीं रहता और कई बार हमें कठिन हालातों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे हालात अपने साथ डर, गुस्सा, दुःख और उदासी जैसी भावनाएं भी अपने साथ लेकर आते हैं। इन हालातों का सामना करने में आपका संयम और आत्मविश्वास बच्चों को जीवन की कठिन परिस्थितियों से लड़ने और उनसे पार पाने की सीख देता है।

6. खुदगर्ज नहीं हमदर्द बनें
बच्चों के सामने अपनी उदारता और दयालुता का प्रर्दशन करें। उन्हे इस बात का एहसास होना चाहिए कि जब आप किसी की मदद करते हैं तो यह तारीफ पाने के लिए नहीं होता बल्कि आपको दूसरों की मदद करना पसंद है और आपको ऐसा करना अच्छा लगता है। बच्चों को जज्बाती बनाने के लिए आपका ऐसा होना बहुत जरूरी है।

7. सभी के लिए सम्मान की भावना रखें
दूसरों के लिए आदर और सम्मान की भावना हमारे अनुशासित होने की सबसे बड़ी निशानी है। हमें छोटे-बड़े लोगों को सम्मान करते हुए देखने पर बच्चे ऐसा करने के लिए प्रेरित होते हैं। बच्चों में यह खूबी उनकी अच्छी परवरिश और संस्कारी होने को भी जाहिर करती है।

8. ईमानदार रहें
ईमानदार होना भी सामाजिक अनुशासन का हिस्सा है। यदि आप चाहते है बच्चा सादगी और ईमानदारी सीखे तो आप खुद उसके आदर्श बनें जिससे बच्चा जान सके कि ईमानदारी की नीव बहुत मजबूत होती हैं और कोई भी आपके साथ धोखाधड़ी नहीं कर सकता।

यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सही और गलत का फर्क जाने, अपने शरीर और दिमाग पर काबू कर सके और अच्छी आदतें अपनाए तो बच्चे को अनुशासन की सीख देना बहुत जरूरी है और अपने अंदर कुछ बदलाव लाकर बड़ी आसानी से बच्चे को अनुशासन की सीख दी जा सकती है।

सरांश- अनुशासन से रहना बच्चे की आजादी पर पाबंदी न होकर किसी काम को सही ढंग से करने की सीख है। उसे अनुशासन सिखाने के लिए इन 8 बातोंपर गौर करें।

Finger puppets




बच्चो द्वारा फिंगर पपेट बनाकर दिखाने का उत्साह एवं 
गांधी व शास्त्री जयंती के जीवन पर सन्देश 






Saturday 13 October 2018

बच्चों के जीवन में मोबाइल का दखल

संस्कृत में एक सूक्ति है - 'अति सर्वत्र वर्जयेत्' और अंग्रेजी में भी कहा गया है कि 'Excess of everything is bad' - यानि कि किसी भी चीज का अति उपयोग  हमेशा नुकसानदेह साबित होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम यहां 'अति' शब्द पर विशेष जोर क्यों दे रहे हैं? आपने बड़े-बुजुर्गों से अक्सर सुना होगा कि संतुलित जीवन जीने वाला इंसान ही सफल हो सकता है इसलिए जीवन में संतुलन का होना बहुत आवश्यक है। स्मार्ट फोन, टीवी, कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग हो गए हैं। जाहिर है कि हमारे बच्चे भी इन चीजों का प्रयोग करने में एक्सपर्ट हैं लेकिन क्या आपने नोटिस किया है कि आपके बच्चे दिन भर में कितनी देर स्मार्ट फोन, कंप्यूटर या टीवी के संपर्क में बने रहते हैं? अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि अगर बच्चे दिन भर में 2 घंटे से ज्यादा समय गैजेट्स के संग गुजारते हैं तो ये उनकी बौद्धिक क्षमता को कमजोर कर देता है।

अमेरिकी सीएचईओ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 8 साल से 11 साल तक की उम्र के कुल 4500 बच्चों के डेली रूटीन पर नजर बनाए रखा। इस दौरान रोजाना 2 घंटे से ज्यादा समय तक टीवी, कंप्यूटर और स्मार्ट फोन से चिपके रहने वाले बच्चों की बौद्धिक क्षमता और उनकी तार्किक क्षमता 5 फीसदी कम मिली। इसके अलावा इन बच्चों में एकाग्रता और याददाश्त से संबंधित समस्याएं भी नोटिस की गई है। मुख्य रिसर्चर डॉ जेरेमी वॉल्श के मुताबिक इंटरनेट, टीवी, सोशल मीडिया और वीडियो गेम्स की लत बच्चों में ना सिर्फ शारीरिक असक्रियता बल्कि नींद में कमी का भी कारण बनता जा रहा है।  इन आदतों की वजह से इस उम्र के बच्चे मोटापा की चपेट में भी आ रहे हैं। डॉ जेरेमी वॉल्श के मुताबिक बच्चों का दिमागी या मानसिक विकास भी बाधित हो रहा है। इस रिसर्च के नतीजे 'द लैसेंट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्थ जर्नल' में प्रकाशित किए गए हैं।



रिसर्च के इन नतीजों से पैरेंट्स को सतर्क होने की ज़रूरत-



रिसर्च के अनुसार 20 में से एक ही बच्चा 8 घंटे की नींद लेता है।

 20 में से 1 बच्चा ही 3 घंटे के खेल-कूद या व्यायाम और 2 घंटे से कम समय टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर के साथ बिताने के सुझाव पर अमल करता है।

रिसर्च के मुताबिक अधिकांश बच्चे 3 घंटे 30 मिनट औसतन रोजाना टीवी, कंप्यूटर या स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं। 18 फीसदी से ज्यादा बच्चे मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं।



बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिए इन टिप्स को आजमाएं -

  माता-पिता होने के नाते आप ये मुकम्मल करें कि आपका बच्चा कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर ले।
 आप ये सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा शारीरिक रूप से ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रहे और इसके लिए आपके बच्चे को कम से कम 3 घंटे का समय खेल-कूद और किसी भी तरह की शारीरिक एक्सरसाइज में बिताना चाहिए।
 अपने बच्चे की दिनचर्या को नए सिरे से प्लान करें और अगर संभव हो सके तो दिनचर्या को मंथली कैलेंडर फार्मेट में बना कर बच्चे के कमरे में चिपका दें। उसपर डेली नोट या चेक-लिस्ट का ऑप्शन रखें। इससे आपको पता चल जाएगा कि बच्चा इस रूटीन को फॉलो कर रहा है या नही। इसके अलावा बच्चे को भी ये ध्यान में रहेगा कि मुझे इसको फॉलो करना है। आपका बच्चा अगर सब कुछ सही कर रहा हो तो उसका हौसला बढ़ाएं और इसके लिए रिवार्ड प्वाइंट भी दें।
 रिसर्च के मुताबिक बच्चों में पढ़ने-लिखने की आदतउनके दिमागी कौशल को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हो सकती है। इसलिए सबसे सरल उपाय ये होगा कि आप अपने बच्चे के अंदर किताबों को पढ़ने की आदत डालें। दसअसल किताबें पढ़ते समय मस्तिष्क बहुत सक्रिय हो जाता है। इसके अलावा इससे तंत्रिका-तंत्र में नई कोशिकाओं के विकास को भी बढ़ावा मिलता है।

 अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। माता-पिता के प्यार और अच्छे से देखभाल करने के बहुत सकारात्मक परिणाम आपको नजर आएंगे।

 1.आपको अपने बच्चे की हॉबीज के बारे में अच्छे से पता होगा तो आप उनके शौक के हिसाब से पेंटिंग, डांस, म्यूजिक या अन्य क्लासेज ज्वाइन करा सकते हैं।
 2.बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आउडटोर-गेम्स के लिए प्रोत्साहित करें
3. घर में पालतू पशु लाकर दें, इससे बच्चा टीवी मोबाइल के स्थान पर इनके साथ समय व्यतीत करने लगेगा
 4.बच्चे की क्षमता के मुताबिक घर के कामों में भी उनका सहयोग लें
 5.अपने बच्चे को समय-समय पर ऐसा टास्क दें जिससे उनकी क्रिएटिविटी का विकास हो सकेगा। और सबसे जरूरी बात की आप भी अपने बच्चों के सामने ज्यादा मोबाइल या टीवी यूज ना करें।

 शुरु-शुरू में बच्चे की मोबाइल और टीवी की लत को छुड़ाने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन इन टिप्स का लाभ आपको बहुत जल्द देखने को मिल सकता है।

क्या आप के बच्चे रात में देर तक जागते हैं?

 आज कल टीनएजर्स का देर रात तक मोबाइल चलाना ,लैपटॉप पर लगे रहना, घंटों टीवी पर प्रोग्राम देखना या फिर दोस्‍तों के साथ मोबाइल पर बातें करना इन...