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Tuesday 8 August 2017

बच्चे झूठ क्यों बोलते हैं?

अक्सर बच्चे झूठ बोलते हैं। झूठ तो बड़े भी बोलते हैं, पर बच्चों को झूठ बोलने पर सजा मिलती है। पेरेंट्स सोचते हैं कि डांट-फटकार और पिटाई के डर से बच्चे झूठ बोलना बंद कर देंगे, पर ऐसा होता नहीं। सवाल ये है कि बच्चे आख़िर झूठ क्यों बोलते हैं और झूठ बोलना कैसे सीखते हैं। यह वह अपनी फैमिली और आसपास के माहौल में ही सीखते हैं।आज हम आपको बच्चों के झूठ बोलने के कारणों के बारे में बता रहे हैं।
1-पेरेंट्स ध्यान दें बच्चों पर
बच्चे जिन बातों के ग़लत मानते हैं और वैसा उन्होंने किया हो, तो झूठ बोल देते हैं। कई बार बच्चे कुछ ग़लत नहीं करने पर भी झूठ बोलने लगते हैं, क्योंकि उन्हें ये शक होता है कि कहीं उन्हें ग़लत न माना जाए। यहां पेरेंट्स को समझने की कोशिश करनी चाहिए कि बच्चा झूठ क्यों बोलता है। उन्हें यह भी देखना चाहिए कि कहीं उन्होंने बच्चे के सामने झूठ तो नहीं बोला। आमतौर पर बच्चे मासूम होते हैं और वो ख़ुद से झूठ नहीं बोल सकते। बहुत से बच्चों को झूठ बोलने के बाद पश्चाताप भी होता है। जो भी हो, पेरेंट्स को एक बात समझ लेनी चाहिए कि बच्चा अगर झूठ बोल रहा है तो कभी भी उसे इसके लिए डांटें-फटकारें नहीं। पिटाई तो हर्गिज नहीं करें। इससे बच्चे की पर्सनैलिटी पर बहुत नेगेटिव असर होता है।
2.यूएसए की मैक-गिल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशनल एंड काउंसेलिंग साइकोलॉजी में हुए एक एक्सपेरिमेंट में यह पाया गया बच्चे झूठ नहीं बोलते, अगर उन्हें पनिशमेंट का डर न हो। पनिशमेंट का डर नहीं होने पर बच्चे वे बातें भी साफ-साफ बतला देते हैं, जो उनकी नज़र में ग़लत हो। अगर उन्हें प्यार से समझाया जाए तो वो अपने व्यवहार में सुधार लाने की कोशिश करते हैं। यह एक्सपेरिमेंट 4 से 8 साल के 373 बच्चों पर किया गया। प्रमुख रिसर्चर विक्टोरिया तलवार ने कहा कि दंड मिलने के भय से ही बच्चे झूठ बोलते हैं। इसके अलावा, झूठ बोलने का शायद ही कोई कारण हो।
3.चाइल्ड साइकोलॉजी पर शोध करने वाली विक्टोरिया तलवार का कहना है कि पनिशमेंट का भय बच्चों पर नकारात्मक असर डालता है। वे सच बोलने से और सच को स्वीकार करने से घबराने लगते हैं। इसकी जगह अगर उन्हें विश्वास में लिया जाए और उत्साहित किया जाए तो सच कहने में वे जरा भी नहीं कतराते।
4.कई बार पेरेंट्स बच्चों के सामने झूठ बोलते हैं या किसी से कोई बहाना करते हैं। वे घर में होते हुए किसी के आने पर बच्चे से कह देते हैं कि जा कर बता दो कि पापा घर पर नहीं हैं। बच्चा इसे सामान्य बात मानता है। बच्चे अक्सर अपने पेरेंट्स को आदर्श मान कर चलते हैं। फिर इसमें आश्चर्य की क्या बात कि वे भी छोटी-छोटी बातों में झूठ बोलने लगें और बहाने बनाने लगें। इस पर अगर उन्हें दंड दिया जाता है, तो उनके मन में यही सवाल पैदा होता है कि बच्चा होने के कारण ही उन्हें दबाया जा रहा है, वैसे झूठ बोलने में कुछ भी ग़लत नहीं।
5.कुछ बच्चे कभी स्कूल में क्लास बंक कर देते हैं और दोस्तों के साथ खेल में मशगूल हो जाते हैं। जब इस बारे में पेरेंट्स के पास शिकायत जाती है तो पूछताछ किए जाने पर बच्चे को समझ में नहीं आता कि वो क्या जवाब दें और झूठ बोलने लगते हैं या बहाने बनाने लगते हैं। उनका झूठ ऐसा होता है, जो तुरंत पकड़ में आने वाला होता है। ऐसे में, पेरेंट्स गुस्से में आकर डांट-फटकार शुरू कर देते हैं या एक-दो चपत लगा देते हैं। लेकिन इससे समस्या सुलझने वाली नहीं। टीचर और पेरेंट्स को यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि आखिर बच्चे ने क्लास बंक क्यों की और उस दौरान क्या किया, तभी समस्या की तह तक पहुंचा जा सकता है। लेकिन इतना धैर्य किसके पास है? हो सकता है, बच्चे को क्लास में मजा नहीं आ रहा हो या दोस्तों के साथ उसने कोई प्लान बना रखा हो। ध्यान रहे, बच्चे को कभी ग़लत न समझें।
6.कुछ बच्चों में चिल्लर पैसे चुराने की आदत लग जाती है। जब पेरेंट्स या फैमिली मेंबर देखते हैं कि उनके पैसे गायब हो रहे हैं तो बच्चों पर ही पहले शक होता है। उनसे कड़ी पूछताछ होती है। बच्चों के सामने झूठ बोलने के अलावा और कोई चारा नहीं होता। जरूरी नहीं कि पैसे बच्चों ने ही चुराए हों, कई बार पैसे खो भी सकते हैं, पर शक बच्चों पर ही होता है। पेरेंट्स को यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि अगर पैसे बच्चे ने ही चुराए तो क्यों, उसने उन पैसों का क्या किया। इसके बाद बच्चों के प्यार से समझाया जा सकता है। अगर वास्तव में बच्चे को पैसे की जरूरत है, तो उसे यह दिया जाना चाहिए। अगर बच्चे ने पैसे चुरा लिए हैं और झूठ बोल रहा है तो इसका इलाज ये नहीं कि उसे मारा-पीटा जाए। याद रखें, बचपन में ऐसी आदत महापुरुषों में भी रही है। महात्मा गांधी ने भी अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वे पैसे चुरा लिया करते थे। यही नहीं, उधार चुकाने के लिए उन्होंने एक बार घर से गहना भी चुरा लिया था। पेरेंट्स सही कारण की तलाश करें और बच्चे को प्यार से समझाएं। उसकी कोई जरूरत हो तो उसे पूरा करें। तब आपके बच्चों में झूठ बोलने की आदत नहीं होगी।

With Best Regards

Vikas Raichandani - Principle
PGDCC (Practitioner- Child Psychology Counsellor, Kolkata), B.Ed, M.A.,Diploma in IT.
Researcher in Child Psychology. Leading Author on Child issues.
Mobile No. - 9415458906
Email.id - blossomacademyschool.gonda@gmail.com

CA Harshita Raichandani 
Chartered Accountant,Certified Accounting Technician, MBA, Associate Member of ICAI, BCOM and Leading Motivational Speaker. 

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