बच्चों को दिन में सपने आते है! सपने तो नहीं में ही आते हैं। यानी नींद का संबंध सपने से हैं। यह बात जेहन में एक कौतूहल पैदा करती है। लेकिन जानकारों और थैरेपिस्ट्स के मुताबिक दिन में सपनों का आना बच्चों के विकास में अहम भूमिका निभाता है। इस तथ्य को लेकर दुनिया भर में रिसर्च हुए जिसमें बच्चों की क्रिएटिविटी , सामाजिक संतुलन , भाषा के विकास और स्कूलों में बच्चों के प्रदर्शन की बात सामने आई। लेकिन सपने तो तभी आएंगे जब बच्चे सोएंगे। सोना बच्चों को सामाजिक, इंटरएक्टिव बनाने के साथ उनके हर पहलुओं का विकास करता है।
जल्दी करें। आप तैयार होने के लिए इतना वक्त क्यों ले रहे है? यह बात समझने की जरूरत है कि दिन में सपना किसी बच्चे के सोच, विचार को बहाव में बहने की आजादी देता है। प्यारे अभिभावकों आपको इसके लिए किसी प्रकार की भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें स्कूल के लिए तैयार करने के अलावा उन्हें स्पेस दे ताकि आपके बच्चे दिन में सपने देख सकें। इस बात पर भी गौर करे कि ऐसा दुनिया के नामचीन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन और न्यूटन के साथ भी होता था। वह भी दिन में बचपन की अवस्था में सोया करते थे और सपने देखा करते थे। इस प्रकार आपके घर में ही जीनियस/साइंटिस्ट मौजूद है।
यहां कुछ बातें दिन में सपने देखने वाले बच्चों के लिए बताई जा रही है जिससे उनका ब्रेन ज्यादा प्रखर होगा और विकास भी बेहतर होगा। डे-ड्रीमिंग (दिन में सोना और सपने देखना) और सुस्त होना एक अवस्था नहीं है। इसमें बहुत अंतर है। क्लास में टास्क के दौरान बच्चों का सो जाना एक सामान्य प्रक्रिया है। यह अवस्था तब होती है जब बच्चे बोर हो जाते और उकता जाते है। यही कारण है कि बच्चे क्लास में नींद लेते है। कोई भी बच्चा क्लास रूम के वातावरण से उकताकर खुद के लिए स्पेस ढूंढता है और इसी क्रम में उसे नींद आ जाती है।
बच्चों का दिन में सोना उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास में भी सहायक है - हमलोग ज्यादातर अभिभावकों से यही सुनते हैं बच्चा शर्मिला है। दरअसल यह बच्चों को खुद को अभिव्यक्त करना सिखाता है। दिन में सोना बच्चों को सामाजिक सांचे में ढालने के साथ उन्हें तमाम बदलाव से भी अवगत कराता है ताकि वह खुद को हर माहौल में ढाल सके। ज्यादातर बच्चों का डे-ड्रीमिंग कुछ खास होता है। यह बच्चों के मानसिक विकास में बेहद सहायक होता है और मानसिक तौर पर उन्हें मजबूत बनाता है। कुछ बच्चे नींद में यह भी सपने देखते है कि उन्होंने किसी मैच को जीत लिया हो और लोगों के सामने वह परफॉर्म कर रहे हैं।
डे-ड्रीमिंग बच्चों की क्रिएटिविटी बढ़ाता है - इससे बच्चों की काल्पनिक शक्ति बढ़ती है जिसका प्रभाव उनके लेखन और उनके प्रोजेक्ट्स में देखने को मिलता है। लेकिन हम ऐसा समझते है कि बच्चों का दिन में सोना सिर्फ समय की बर्बादी है जबकि ऐसा नहीं है। हम बच्चों को चूहा-बिल्ली के रेस में शामिल करना चाहते है लेकिन ऐसा करके हम उनकी क्रियात्मकता और आजादी को छीन लेते है। इसलिए हमें डे-ड्रीमिंग के महत्व को समझना होगा।
डे-ड्रीमिंग से बच्चों की कल्पना क्षमता बढ़ती है - काल्पनिक शक्ति से इनोवेशन और खोज की राह बनती है। इसलिए बच्चों को आप उनके मुताबिक खिलने दे। बारिश होगी तो बादल नहीं होगे। लेकिन सिर्फ बादलों का होना और बारिश का नहीं होना किसी भी सूरते हाल में ठीक नहीं है।
जल्दी करें। आप तैयार होने के लिए इतना वक्त क्यों ले रहे है? यह बात समझने की जरूरत है कि दिन में सपना किसी बच्चे के सोच, विचार को बहाव में बहने की आजादी देता है। प्यारे अभिभावकों आपको इसके लिए किसी प्रकार की भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें स्कूल के लिए तैयार करने के अलावा उन्हें स्पेस दे ताकि आपके बच्चे दिन में सपने देख सकें। इस बात पर भी गौर करे कि ऐसा दुनिया के नामचीन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन और न्यूटन के साथ भी होता था। वह भी दिन में बचपन की अवस्था में सोया करते थे और सपने देखा करते थे। इस प्रकार आपके घर में ही जीनियस/साइंटिस्ट मौजूद है।
यहां कुछ बातें दिन में सपने देखने वाले बच्चों के लिए बताई जा रही है जिससे उनका ब्रेन ज्यादा प्रखर होगा और विकास भी बेहतर होगा। डे-ड्रीमिंग (दिन में सोना और सपने देखना) और सुस्त होना एक अवस्था नहीं है। इसमें बहुत अंतर है। क्लास में टास्क के दौरान बच्चों का सो जाना एक सामान्य प्रक्रिया है। यह अवस्था तब होती है जब बच्चे बोर हो जाते और उकता जाते है। यही कारण है कि बच्चे क्लास में नींद लेते है। कोई भी बच्चा क्लास रूम के वातावरण से उकताकर खुद के लिए स्पेस ढूंढता है और इसी क्रम में उसे नींद आ जाती है।
बच्चों का दिन में सोना उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास में भी सहायक है - हमलोग ज्यादातर अभिभावकों से यही सुनते हैं बच्चा शर्मिला है। दरअसल यह बच्चों को खुद को अभिव्यक्त करना सिखाता है। दिन में सोना बच्चों को सामाजिक सांचे में ढालने के साथ उन्हें तमाम बदलाव से भी अवगत कराता है ताकि वह खुद को हर माहौल में ढाल सके। ज्यादातर बच्चों का डे-ड्रीमिंग कुछ खास होता है। यह बच्चों के मानसिक विकास में बेहद सहायक होता है और मानसिक तौर पर उन्हें मजबूत बनाता है। कुछ बच्चे नींद में यह भी सपने देखते है कि उन्होंने किसी मैच को जीत लिया हो और लोगों के सामने वह परफॉर्म कर रहे हैं।
डे-ड्रीमिंग बच्चों की क्रिएटिविटी बढ़ाता है - इससे बच्चों की काल्पनिक शक्ति बढ़ती है जिसका प्रभाव उनके लेखन और उनके प्रोजेक्ट्स में देखने को मिलता है। लेकिन हम ऐसा समझते है कि बच्चों का दिन में सोना सिर्फ समय की बर्बादी है जबकि ऐसा नहीं है। हम बच्चों को चूहा-बिल्ली के रेस में शामिल करना चाहते है लेकिन ऐसा करके हम उनकी क्रियात्मकता और आजादी को छीन लेते है। इसलिए हमें डे-ड्रीमिंग के महत्व को समझना होगा।
डे-ड्रीमिंग से बच्चों की कल्पना क्षमता बढ़ती है - काल्पनिक शक्ति से इनोवेशन और खोज की राह बनती है। इसलिए बच्चों को आप उनके मुताबिक खिलने दे। बारिश होगी तो बादल नहीं होगे। लेकिन सिर्फ बादलों का होना और बारिश का नहीं होना किसी भी सूरते हाल में ठीक नहीं है।
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